ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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शुक्रवार, 19 सितंबर 2008

जुर्म

अफसाना-ए-हस्ती में तो सभी जुर्म किया करते हैं
इक जुस्तजू-ए-शौक हमने भी कर लिया तो
दिलों के कत्ल की सज़ा हमको सुना दी
इसपर जुरअते निगाह काफी न थी जो आपने
कातिलों के हाथ में तलवार थमा दी

5 टिप्‍पणियां:

Rakesh Kaushik ने कहा…

adaab arj karta hu.
bda hi khubsoorat jurm kar baithe hai aap.
it's really nice

keep it on

Rakesh Kaushik

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

achchi rachana hai
jaari rakhain

Udan Tashtari ने कहा…

वाह जी वाह!! बहुत उम्दा.

pallavi trivedi ने कहा…

behtareen rachna....

ccsuniversityblog ने कहा…

बहुत ही अच्छी बात कही हैं आप ने ,अच्छी भी और सची भी . आप ने मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी की बहुत अच्छा लगा सुक्रिया
निर्मल शर्मा