तेरे अंजुमन से उठकर फिर कहां जाते
जो बाबस्ता हुए तुमसे वो अफसाने कहां जाते
थककर हयात से जिन्हें न मिलता मैखाना तो
ठुकराये हुए बन्दे खुदा जाने कहां जाते
शुक्रवार, 19 सितंबर 2008
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मखमल में लिपटे कुछ लम्हे मिले हैं, कहते हैं दर्दे-दिल से दूर हैं। नज़र में बारीकियां कुछ हमने भी सीखी जहां, रूमाल उनके कुछ भीगे मिले हैं ।
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