ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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बुधवार, 16 दिसंबर 2009

कैसे आएगी खुशहाली ?

















पांच लोगों का जमघट
तीन पत्ती का खेल
धुआं उगलती मोटरें
हाटों में रेलमपेल
झौंपड़ी में घुस गई
फैशन की चाल
माथा टीकी लाली
गंवारन का हाल
सूखी मटकी खाली
टीन कनस्तर खाली
करने बातें बैठें हैं
कैसे आएगी, गांव में खुशहाली?
तू जीता,मैं जीता
चल अब दस की पत्ती डाल
चाय की थड़ियां और
कट चाय की गुहार
सरकार ने क्या किया
इस कोठे का धान उसमें भरा
खैनी फांकी, चूना झटका
घर से निकली सर पर मटका
हैण्डपंप पर खुसर फुसर
चरी मटकी का साज
गोरियों का इठलाना
खिलखिलाहट का राग
फिकरेबाज़ी छींटाकशी
दनदना गाली निकली
घर अंदर से बुहार लें
कचरा रस्ते पर डाल
कीचड़ से गलियां भरी
और चबूतरे साफ
कैसे आएगी गांव में खुशहाली?
तू जीता, मैं जीता
चल दस की पत्ती डाल
कीचड़ लदे रास्ते
मक्खियों की भनभनाल
माथे पर शिकन नहीं
खटिया नीम तले डाल
दातुन,मंजन,खैनी,गुटखा
चार पहर डाक्टर का नुस्खा
फिल्मों में हीरो को देखा
छोरा बना हीरो सरीखा
सफेद पतलून चमेली का तेल
जिधर देखो तीन पत्ती का खेल