ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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मंगलवार, 23 सितंबर 2008

शमां

इंतज़ार कीजिए वक्त के आने का
चर्चे होंगे कभी आपके इस ज़हां में
शमां पिघल रही है इक आस लिए
कोइ तो परवान चढ़ेगा पतंगा यहां

4 टिप्‍पणियां:

कुश ने कहा…

bahut khoob..

Udan Tashtari ने कहा…

लिखते रहें.

Mukesh ने कहा…

वाह.. बहुत सुंदर शेर...

Barun Sakhajee Shrivastav ने कहा…

आपकी इन चार लाइनों में लगता है सभी कुछ समाने की कोशिश की है जिसमें कवियत्री क़ामयाव भी हुईं हैं लेकिन फिर भी कहीं कोई ग़ुंजाइश है कुछ और अच्छा हो सकता था.......फिर भी बिना कुछ नकारात्मक सोचते हुए.....रचना दिल को छूती है....लेकिन डुबा नहीं पाती.......क्षमा कीजिए।।।।।