इंतज़ार कीजिए वक्त के आने का चर्चे होंगे कभी आपके इस ज़हां में
शमां पिघल रही है इक आस लिए
कोइ तो परवान चढ़ेगा पतंगा यहां
मखमल में लिपटे कुछ लम्हे मिले हैं, कहते हैं दर्दे-दिल से दूर हैं। नज़र में बारीकियां कुछ हमने भी सीखी जहां, रूमाल उनके कुछ भीगे मिले हैं ।
4 टिप्पणियां:
bahut khoob..
लिखते रहें.
वाह.. बहुत सुंदर शेर...
आपकी इन चार लाइनों में लगता है सभी कुछ समाने की कोशिश की है जिसमें कवियत्री क़ामयाव भी हुईं हैं लेकिन फिर भी कहीं कोई ग़ुंजाइश है कुछ और अच्छा हो सकता था.......फिर भी बिना कुछ नकारात्मक सोचते हुए.....रचना दिल को छूती है....लेकिन डुबा नहीं पाती.......क्षमा कीजिए।।।।।
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