जिसे भी कुछ मिला है खुदा के फजल से
खानाबदोशियां भी खुदा के फजल से
गिद्धों ने भी कहीं बनाए हैं घोंसले
सारा जहां गिद्ध बना खुदा के फजल से
बेबाक न होइए मंजर जिन्दगी देखकर
सदा सुन लेगा कोई खुदा के फजल से
सब्र बड़ा चाहिए ऐतबार भी ‘भारती’
सब कुबूल होगा खुदा के फजल से
खानाबदोशियां भी खुदा के फजल से
गिद्धों ने भी कहीं बनाए हैं घोंसले
सारा जहां गिद्ध बना खुदा के फजल से
बेबाक न होइए मंजर जिन्दगी देखकर
सदा सुन लेगा कोई खुदा के फजल से
सब्र बड़ा चाहिए ऐतबार भी ‘भारती’
सब कुबूल होगा खुदा के फजल से
5 टिप्पणियां:
बढिया। भावनाएं और आशा का बढिया तालमेल। लिखते रहें।
it's really nice
hume bhi aap mile Khuda ke fazal se
bahut achcha likha hai aapne, bhavnaye kafi prabhavitkarti hai
Rakesh Kaushik
kya khub likha hei, aapki "gazal "
zindagi se mukabla karane ki prarana deti he.
bebak na ho..... ye pankti to bahut pasand aai.
रचना जी
आपकी ग़ज़लें देखीं । आप्की अभिव्यक्ति तो अच्छी है किन्तु ग़ज़लें ग़ज़ल के नियमों पर खरी नहीं है। जैसे ’खुदा के फ़जल से’ से गज़ल में रदीफ़”खुदा के फ़ज़ल से’ है किन्तु काफ़िया मतले में ’है तथा भी आ रहा है। फिर पहले शेर में ’बना’आ गया उसके अगले शॆर में ’कोई’ आ गया फ़िर ’होगा’। इसमें काफ़िया दोष तो है ही बहर में भी नहीं है। कृपया अन्यथा न लें
शरद तैलंग
खुदा की कायनात का
खुदा ही जिम्मेदार है.
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