ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

Website templates

फ़ॉलोअर

सोमवार, 8 सितंबर 2008

भूख

भूखे- नंगे कलप रहे
दाने दाने को तरस रहे
बन्द करके ईच्छाओं को
जग में ऐसे भटक रहे
कब टूटेगा ग्रहण हमारा
जागेगा नसीब दूबारा
बच्चों की किलकारी सुने
युग बीते जाने कितने
क़ांप उठा यह देख सॄष्टा भी
मांग रहा भीख नवजात शिशु भी
भूख ने ही बिगाड़ा है घर
इसने ही दिखाया दूजे का दर

2 टिप्‍पणियां:

ओमप्रकाश तिवारी ने कहा…

कब टूटेगा ग्रहण हमारा

36solutions ने कहा…

स्‍वागत है अंतरजाल में आपका .........