भूखे- नंगे कलप रहे
दाने दाने को तरस रहे
बन्द करके ईच्छाओं को
जग में ऐसे भटक रहे
कब टूटेगा ग्रहण हमारा
जागेगा नसीब दूबारा
बच्चों की किलकारी सुने
युग बीते जाने कितने
क़ांप उठा यह देख सॄष्टा भी
मांग रहा भीख नवजात शिशु भी
भूख ने ही बिगाड़ा है घर
इसने ही दिखाया दूजे का दर
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2 टिप्पणियां:
कब टूटेगा ग्रहण हमारा
स्वागत है अंतरजाल में आपका .........
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