ख्वाबों ख्यालों की दुनियां में रहने वाले
अपनी तन्हांयों को बेहद चाहने वाले
जाने किस दुनियां को ढूंढ्ते हैं
इंसानों से तो बनाकर दूरियां
सन्नाटों को पनाह देते हैं
अपने कमरों को बन्द करके फिर
खिड़कियां दिमाग की खोलते हैं
गांवों को शहरों में तब्दील कर
दरिया मैखानों से जोड़ते हैं
जिन्दगी को बदस्तूर जीकर भी
अपना हर एक पल माहोसाल बना देते हैं ।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
4 टिप्पणियां:
http://vangmaypatrika.blogspot.com
http://rahimasoomraza.blogspot.com
आपके ब्लाग से मेरा ब्लाग नहीं खुल रहा है, क्योंकि आपने वाडमय लिख रखा है.
ख्वाबों ख्यालों की दुनियां में रहने वाले
अपनी तन्हांयों को बेहद चाहने वाले
जाने किस दुनियां को ढूंढ्ते हैं
इंसानों से तो बनाकर दूरियां
सन्नाटों को पनाह देते हैं
bahtreen rachana
बहुत बढ़िया!!
क्या बात है, बहुत लोग इसमें खुद को निहार रहे हैं
एक टिप्पणी भेजें