एक कलम खुदा की , एक अपनी चली
खुदा ने तकदीर और हमने रचना लिखी
रचना में तो कांट छांट सम्पादक कर देगा
तकदीर को क्या खुदा दोबारा लिखेगा?
मखमल में लिपटे कुछ लम्हे मिले हैं, कहते हैं दर्दे-दिल से दूर हैं। नज़र में बारीकियां कुछ हमने भी सीखी जहां, रूमाल उनके कुछ भीगे मिले हैं ।
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