ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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गुरुवार, 28 अगस्त 2008

ज़िगर

बहुत मन्नतें बहुत हवन किए हमने

ज़माने ने सब चकनाचूर कर दिए

उनसे कहो जिगर हमारा भी हौसलेमन्द था

हाथ हवन में जलाने से पहले हवनकुन्ड उठा लिए



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