आजकल हर चीज का दाम चुकाना पड़ता है
जो चीज दे रहे हैं भुगतान उसका करना पड़ता है
बात शरीर की ही लें, बाल बढ़ गए
तो नाई को बिल चुकाना पड़ता है
दांत निकलवाना हो या, हो दर्द से छुटकारा पाना
तो दांत के डाक्टर को बिल चुकाना पड़ता है
बच्चा हमारा है, डिलीवरी हम कर रहे हैं
तो भी नर्सिंग होम को बिल चुकाना पड़ता है
और तो और सुलभ काम्प्लेक्स इस्तेमाल करें
तो जमादारों को बिल चुकाना पड़ता है
घास कटानी हो या फिर कटाई छंटाई
तो माली को बिल चुकाना पड़ता है
गड़बड़ हो रहा हिसाब यहां, हो रहा फरेब
चीज भी जाए हमारी, और हमारी ही कटे जेब
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
6 टिप्पणियां:
aisa n ho bharti ji ki kabhi naai kate huye saare baal vaapas kar de, vaise rachna ne hansa diya.
शुभ-दीवाली।
बढ़िया!!
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/
हम तो भिखारी से भी तिजारत करते अक्सर।
एक पैसे में जो लाखों की दुआ देता है।।
दीपावली की शुभकामनाएँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
good eve, first i want say thanks u appreciate 2 me sorry B`coz I m new blogger so I do ot know how 2 write in hindi.
Plz help me How can i write in Hindi.I read ur lines It is highly praiseble and It reavels the true picture of indian scenario. And tis also revels that U know very well about indian atmosphere. I think why we all should not write like this
Again I want say plz tell me how can I write in Hindi.
क्या खूब कही आपने...कभी सोचा ही नहिं कि चीज भी अपनी जा रही है और जेब भी कट रही है।
:)
॥दस्तक॥
गीतों की महफिल
तकनीकी दस्तक
एक टिप्पणी भेजें