धड़ी की सुइयों से शिकायत है
क्यों सताए समय असमय
कर्तव्य बोध भूले बिसुरे को
कृतज्ञ बनाए क्यों समय असमय
सूनी कोख के दीपक को
जलाएं, क्यों समय असमय
प्रतिक्षा के परीक्षार्थी को कसौटी पर
कसवाएं, क्यो समय असमय
पाप पुण्य के अन्तर दुनियां में
समझाएं ,क्यों समय असमय
आत्मा अजर अमर नश्वर शरीर की
महात्मा बनाए, क्यों समय असमय
हम तो तुच्छ इंसान हैं जगत के
जिज्ञासु बनाए, क्यों समय असमय
गुरुवार, 23 अक्तूबर 2008
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5 टिप्पणियां:
sahi kaha......
sundar rachna.
ek sundar achchi rachana .badhai.
सुन्दर अभिव्यक्ति!!
कुमार विनोद कहते हैं कि-
दर हकीकत कुछ दिनों से सेल घड़ी का खत्म था।
और मैं नादाँ ये था समझा वक्त है ठहरा हुआ।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
दीपावली
आचार्य संजीव सलिल
ईमेल : सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम
ब्लॉग: संजिव्सलिल.ब्लागस्पाट.कॉम
सत्य, शिव, सुंदर का अनुसन्धान है दीपावली.
सत-चित-आनंद का अनुगान है दीपावली.
प्रकृति-पर्यावरण के अनुकूल जीवन जी 'सलिल'-
मनुजता को समर्पित विज्ञानं है दीपावली.
परिवार-राष्ट्र-विश्व पर अभिमान है दीपावली.
प्रार्थना, प्रेयर, सबद, अजान है दीपावली.
धर्म का है मर्म निरासक्त कर्म ही 'सलिल'-
लगन, निष्ठां, परिश्रम का मान है दीपावली.
पुरुषार्थ को परमार्थ की पहचान है दीपावली.
नयन में पलता हसीं अरमान है दीपावली.
आन-बान-शान् से जीवन जियें निश-दिन 'सलिल'-
असत पर शुभ सत्य काजयगान है दीपावली.
निस्वार्थ सेवा का सतत अभियान है दीपावली.
तृषित अधरों की मधुर मुस्कान है दीपावली.
तराश कर कंकर को शंकर जो बनाते हैं 'सलिल'-
वही सृजन-शक्तिमय इंसान है दीपावली.
सर्व सुख के लिए निज बलिदान है दीपावली.
आस्था-विश्वास है ईमान है दीपावली.
तूफ़ान में संघर्ष कर, तम् से जो जीतता 'सलिल'-
उसी मृण्मय दीप का जय-गन है दीपावली.
गीत, कविता, गजल का दीवान है दीपावली.
दिल की दिल से निकटता-पहचान है दीपाली.
समय पुस्तक, श्रम कलम-हस्ताक्षर निर्मल 'सलिल'-
आसमय आभास है,निश्वास है दीपावली.
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