किसकी कब्र पर सर झुका कर रो रहा है
खो गया क्या जिसे मिट्टी में ढ़ूंढ रहा है
भूल गया तू चंद रोज पहले भी आया था
ऐसी ही किसी तमन्ना का जनाजा लाया था
यूं ही गर तू आता रहा उन्हें कब्र में सुलाता रहा
तो एक दिन वाकई ऐसा हो जाएगा इन्हें लाते-2
थक जाएगा, तब अपनी लाश का बोझ भी उठा न पाएगा
इसलिए सच बता कितनी है तमन्ना जिगर में
जिन्हें दफनाने से पहले देखने हैं उनके जनाजे हमें
सोमवार, 6 अक्तूबर 2008
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2 टिप्पणियां:
बेहद खूबसूरत लफ्ज़ और जज़्बात आए हैं आप की इस रचना में...बेहतरीन
नीरज
गजब एवं बहुत बेहतरीन!!
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