ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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गुरुवार, 5 मार्च 2009

दस्तक

दो परिन्दों को यूं चोंच से चोंच मिलाते देखा
इंसानों को घरों में दीवारें उठाते देखा

अक्सर सफ़र में दृश्यों को पीछे भागते देखा
कुछ लोगों को आधा ज़मीं में आधा बाहर देखा

मौज़ों को किनारों से अठखेलियां करते देखा
तूफान आने पर अपनों को किनारा करते देखा

मुद्वतों बाद दरवाजे पर तेरे दस्तक हुई ‘भारती’
न आया था कोई यहां इसे किस्मत को बजाते देखा

13 टिप्‍पणियां:

मुंहफट ने कहा…

मुद्वतों बाद दरवाजे पर तेरे दस्तक हुई ‘भारती’
न आया था कोई यहां इसे किस्मत को बजाते देखा
..बधाई.
बहुत अच्छी रचना.
चंद लाइना आपकी रचना के नाम-
क्या नींद आए उसको, जिसे जागना न आए.
जो दिन को दिन करे, वो करे रात को भी रात.

mark rai ने कहा…

बहुत अच्छी रचना. .....

बलराम अग्रवाल ने कहा…

आपकी कविताओं में भाव अच्छे हैं, लेकिन सिर्फ तुकबन्दी से बचें। मेरी ओर से शुभकामनाएँ।

राजकुमार ग्वालानी ने कहा…

बहुत अच्छी रचना- बधाई

मनोज कुमार सिंह ने कहा…

आपने सही देखा लेकिन कुछ कम देखा
रचनाा विचारण्‍ीय लगी

ADMIN ने कहा…

रचना जी,

आपकी कवितायें काफी अच्‍छी हैं । मैं एक मासिक समाचार पत्रिका खास बात नाम से एवं खुलासा टाइम विजन नाम से साप्‍ताहिक समाचार पत्र निकालता हूं , आप इजाजत दें तो उसमें आपकी कवितायें प्रकाशित करना चाहूंगा ।

मेल करें
khasbaat@in.com
Ph.-09839067621

डॉ टी एस दराल ने कहा…

kuchh logon ko aadha jamin me aadha baahar dekha.sach hai aajkal log chehre par mukhota odhe rahte hain.pata nahi chalta kaun sahi hai kaun galat.holi ki badhai.

Pawan Kumar Sharma ने कहा…

bahut acha likhti hain aap. ye rachna bahut achi lagi. badhai ho.

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

तूफ़ान आने पर अपनों को किनारा करते देखा...ये लाइन ही सब कुछ कह देती है....आजकल यही सब हो रहा है...जिसका पर्तिबिम्ब आपकी कविताओं में दीखता है...

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

यह भी एक सुन्दर रचना.

Urmi ने कहा…

पहले तो मै आपका शुक्रियादा करना चाहती हू कि आपको मेरी शायरी पसन्द आयी और आपनॆ बहूत ही सुन्दर रूप से हिन्दी मे कैसे लिखू ये विस्तारित रूप मे बयान किया है उसके लिये बहुत बहुत शुक्रिया ! मै आपका ब्लोग रोज़ाना पड्ती हू और मुझे बहुत अच्छा लगता है! मै पहली दफ़ा हिन्दी मै लिख रही हू (कमेन्ट) इसलिए अगर शब्दो मै गलती हो तो माफ़ कीजियेगा !

रचना त्रिपाठी ने कहा…

रचना जी,आपकी रचनाएं बहुत अच्छी हैं बधाई हो।

रचना त्रिपाठी ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.