ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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शनिवार, 26 सितंबर 2009

रावण की चाहत





















सभी ब्लोगर पाठकों को दशहरे की हार्दिक शुभकामना
एक बार रावण का कुछ मूड बदला
उसका ध्यान अंतरंगता की ओर लपका
अपने दसों सिरों से
चुंबनों की इच्छा जागी
दस्यु सुन्दरियों के लिए
विज्ञापन निकाला,
बना अनुरागी
सुन्दरियां आयीं, इंटरव्यू हुए,
रावण के चुनाव घोषित हुए
विज्ञापन में पहले ही छपा था,
सुन्दरियों को भी पता था
कमसिन, दुबली कन्याएं चाहिएं थीं,
जगह की कमी बताई गई थी
हर सिर के आगे प्रत्येक को खड़ा होना था,
भीड़ बढ़ गई
रावण ने ये सोचा न था
यूं घिर जाएगा सुन्दरियों से कि
सिर के सिर से जुड़े होने से
सांस लेना मुश्किल होगा
खैर ! कामुक बली ने
नरसंहार तो बहुत किए थे मगर
आज से पहले न कभी
महाराज ऐसे चक्कर में पड़े थे
चुबंनों के लिए दस्युओं ने जैसे ही अधर मिलाए
दसों सिर कंपित हुए, सीधे बस शिवजी याद आए

शनिवार, 19 सितंबर 2009

जिन्दगी है तो


जिन्दगी है तो कुछ हादसे भी होंगें
हम तो बेमतलब ही डरा करते हैं
कलाम कुछ लिखेंगें तो कुछ कमाल भी होंगें
तहरीर कहती है जहन में आपका बसेरा है
मशअले दर्द शामों सहर जलाने होंगें
इकरार से क्यों बेसबब ही डरते हैं
कभी तो सागरों में चांद उतरे होंगें
उसी से चकोर आज तक मदहोश रहते हैं ।

सोमवार, 7 सितंबर 2009

चुभन



मन की मीठी चुभन को
शब्दों के जरिये मत तोलो
एक हूक सी उठी है अंदर
जिसे न चाहकर भी महसूस करो
बहुत हैं तुम पर जहां लुटाने वाले
मत सोचो अरमानों को ऐसे
मन की अगन बुलाती है
तुम चुपचाप गुजर जाओं बस
आहट पर तुम्हारी दुआ न आए
हम सोच भी न सकेगें कभी
शरबती आंखों की झील में
डुबोकर अपने को हिलोरें ले लो
दूरी से न ये टूटेगी डोर कभी
सपनों को छुपा लो आंचल मे
गज+ब होगा न कोई अब
तुम धीरे से चले जाओ
लेकिन एक गुजारिश है तुमसे
मन की इस मीठी चुभन को
शब्दों के जरिये मत तोलो