सूर्य देव तुम्हें नमन
नमन तुम्हारी ज्वाला
दिनकर हो उजियारे दिन के
किरणों ने तुम्हें ताज पहनाया
शंख बजे तुम्हारे आने पर
मंगल ध्वनि स्वर छाया
कुपित दृष्टि जिसपर पड़े
बढ़े क्रोध क्रोधी का
पूजा अर्चना प्रात: नमन
से रहे तुम्हारी कृपा
सौर मण्डल के तुम मुखिया
नौ ग्रहों के ग्रहदाता
ऐसी ज्योति से गुलशन खिलता
सूरजमुखी तुम पर झुक जाता
शत शत नमन तुम्हें करता
हर प्राणी सृष्टि पर रहने वाला
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12 टिप्पणियां:
सूर्य के ऊपर आपकी अच्छी कविता .....
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
सुंदर रचना....
सूर्य की रौशनी से तो पूरा जग जगमगाता है, आपकी लेखनी भी ऐसे ही जगमगाए
बहुत सुन्दर
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गुलाबी कोंपलें
सुंदर अच्छी कविता ....
रश्मि जी
सादर अभिवादन
आपकी रचनाएं मन को सकुन देने वाली है। आप इन्हें प्रकाशित कराने के लिए भेंजे मेरे ब्लोग पर समीक्षा के साथ-साथ पत्रिकाओं के पते भी हैं। देखकर आपकी प्रतिक्रिया से अवगत कराएं
अखिलेश शुक्ल
संपादक कथा चक्र
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http://katha-chakra.blogspot.com
अच्छी कविता है सूर्य पर......
धन्यवाद जी,
आप के ब्लाग को देखा बहुत अच्छा ..।
इन दिनों कुछ व्यस्तता के कारण कुछ और नहीं लिख सका हूं जल्द ही पाठकों को मेरी "मृगतृष्णा" मिलेंगी।
कविता के माध्यम से की गई आपकी भगवान सूर्यदेव स्तुति बहुत ही बढिया लगी.
अति सुन्दर.........
उत्तम!
हमारी भी शुभकामनायें
ashok mishra katarbyont.blogspot.comआप मेरे ब्लॉग पर आईं, इसके लिए धन्यवाद. आपके ब्लॉग पर भी अच्छी सामग्रियां हैं. जिनको पढ़ कर मजा आगया. शेष फिर कभी. अब तो आपके ब्लॉग पर भी भ्रमण करता रहूँगा.
suraj hamein bahut kuch deta hai... lekin hum apne gurur ke aage kisi ka sammaan karna nahi jante.. aapki rachna se shayed hamari aankhein khul jayein. thanks mere blog par aakar mujhe protashan dene ke liye....
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