ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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बुधवार, 21 जनवरी 2009

इन्तज़ाम

हर पल तेरी याद का संजो कर रखा है

सूखा फूल गुलाब का किताब में रखा है

निराधार ज़माने में कुछ आधार रखा है

पत्थरों भरी ज़मीं में कोइ भगवान रखा है

महफिलों में जामों का आतिशांदाज रखा है

पीने वालों ने जिसका गंगाजल नाम रखा है

सुरमई शामों में तेरी यादों का हिस्सा रखा है

मुलाकात के वास्ते कोना कोई खाली रखा है

मिलें फिर जुदा हों ऐसे मिलन में क्याभारती

अगले जन्म में मिलन का इन्तजाम रखा है

10 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

मिलें फिर जुदा हों ऐसे मिलन में क्या ’भारती’

अगले जन्म में मिलन का इन्तजाम रखा है

क्‍या खूब लिखा है !

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सुन्दर.

बेनामी ने कहा…

आपकी कवितायें बहुत गहरी हैं| बहुत ही अच्छा लिखा हैं|
हम भारत-(कानपूर, मथुरा, वृन्दावन, एवं भोपाल इत्यादि ) की यात्रा पर थे, अत: इस लेख के दूसरे भाग को लिखने में देरी हो गयी | प्रस्तुत है इस लेख का दूसरा भाग | सविनय धन्यवाद |
baadal.wordpress.com

The Campus News ने कहा…

bahut hi achchha likha hai aap ne. is janm men n sahi to us janm men ham jise chahte hai jarur milenge

Bhavesh (भावेश ) ने कहा…

आपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपने मेरे ब्लॉग के प्रथम प्रयास को सराहा. अभी लिखने को बहुत कुछ है बस थोड़ा समय मिलते ही पहले ब्लॉग से अभिक्ष होना चाहूँगा और उसके पश्च्यात कोशिश करूँगा की नियमित तौर पर थोड़ा वक्त ब्लॉग को दे सकू. एक बार फिर आपका हौसला अफजाही के लिए शुक्रिया.

Sarita Chaturvedi ने कहा…

KABITA LIKHNA BEHAD KATHIN HAI...PAR PADHNA BAHUT AANANDDAYAK RAHTA HAI..SUKRIA...AISE HI LIKHTI RAHIYE..

Akanksha Yadav ने कहा…

सुन्दर ब्लॉग...सुन्दर रचना...बधाई !!
60 वें गणतंत्र दिवस के पावन-पर्व पर आपको ढेरों शुभकामनायें !! ''शब्द-शिखर'' पर ''लोक चेतना में स्वाधीनता की लय" के माध्यम से इसे महसूस करें और अपनी राय दें !!!

दीपक बाबा ने कहा…

कविता में तो चलता है अच्छा लिखा है ... पर आजकल यथार्थ ये है की मिलन से पहले जुदाई क्यों और मिलन के लिए अगले जन्म का इन्जेज़ार क्यों .

Ek Shehr Hai ने कहा…

इंतजार भी दोस्तों क्या खेल खिलाता है
हर अंजान चेहरे मे भी अपना सा कोई नज़र आता है।
क्या करें इस भीड़ मे भी खोकर हम
रिश्तों का पैमाना हमें वापस एंकात मे खींच लाता है।

कविताओ मे कहने वाली हर बात अहसास के साथ जुड़ी होती है। इसी अहसास को आपने बरकरार रखा है। अच्छा लगा।

बेनामी ने कहा…

रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति