ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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सोमवार, 1 दिसंबर 2008

तोहफा

नायाब सा एक तोहफा, अजीज से मिला हमें
अहसास एक अपनेपन का, तुकारे में मिला हमें
दिल गद गद था रोम-रोम अलंकृत जिसमें
फिर दोबारा कोई जज्बा उठा है मन में
जिन्दगी की अनबूझी पहेलियों के बीच
प्यास में जैसे मटके का पानी मिल गया हमे
महके से हम थे महका सा ये समा था
जिसमें तेज सांसो ने भी संगीत सुनाया हमें
कहते हैं बहुत कुछ के लिए कुछ काफी नहीं
चलो बहुत से कुछ का तो सफर मुहैया हुआ हमें

21 टिप्‍पणियां:

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

अच्छा िलखा है आपने । शब्दों में यथाथॆ की अिभव्यिक्त है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है । समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें -
http://www.ashokvichar.blogspot.com

संगीता-जीवन सफ़र ने कहा…

अच्छी रचना!

Himanshu Pandey ने कहा…

सुंदर लिखा है आपने . धन्यवाद .

prashant ने कहा…

एक गहरी सोंच,दिलों को छु लेने वाली रचना....., लाजवाव भारती जी !

दिल का दर्द ने कहा…

"रचना जी" आपने बहुत सुन्दर लिखा है। मुझे आपकी तरह ठीक से लिखना तो नहीं आता फिर भी कोशिश कर रहा हूं। अपने मन के भावो को लिखकर मुझे बहुत सुकून मिलता है।

PARMOD KUMAR DHUKIYA ने कहा…

thanks ma'am for your guideness me to on my blog........welcome and more thanks again


your sincerly
parmod dhukiya

Prakash Badal ने कहा…

लिखना जारी रखें आपकी रचनाएं और बेहतर हो सकती हैं। मेरी शुभकामनाएं।

Prakash Badal ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
फिलम सिनेमा ने कहा…

Rachana ji namaste.

I thank you and appreciate you from the bottem of my heart for commenting.

keep on writing .

god be with you.

gajendra singh bhati

दिनेश चारण ने कहा…

aaj pariwar parishisth me aapki kavita jameer padhi acchi lagi,meri badhai....

रंजू भाटिया ने कहा…

अच्छी लिखी है आपने यह रचना

manu ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है ...खासकर "मजार"
तुकारे शब्द को नहीं समझ सका ...कृपया बताये ताकि कविता का पूरा आनंद ले सकूं
धन्यवाद

Dr. Ravi Srivastava ने कहा…

आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला।
वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है।

‘…हम तो ज़िन्दा ही आपके प्यार के सहारे है
कैसे आये आपने होंठो से पुकारा ही नही…’’

आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे
बधाई स्वीकारें।
आप मेरे ब्लॉग पर आए, शुक्रिया.

‘मेरी पत्रिका’ में आज प्रकाशित नई रचना/पोस्ट पढ़कर अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएँ।
आप के अमूल्य सुझावों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...

Link : www.meripatrika.co.cc

…Ravi Srivastava

डा ’मणि ने कहा…

रचना जी
सादर अभिवादन
एक सुखद संयोग से आपके ब्लोग से परिचित हुआ , आपकी रचनायें पढी , बधाई स्वीकार करें
वैसे एक संयोग और भी है कि मैं भी कोटा शहर से ही हूं , इसलिये भी आपसे परिचय होना अच्छा लग रहा है

चलिये अपने रचनात्मक परिचय के लिये पिछले दिनो के दुखद दौर मे लिखने मे आये ये २-३ मुक्तक देखें .

हर दिल मे हर नज़र मे , तबाही मचा गये
हँसते हुए शहर में , तबाही मचा गए
हम सब तमाशबीन बने देखते रहे
बाहर के लोग घर में , तबाही मचा गए

और

राजधानी चुप रही ..

किसलिए सारे जावानों की जवानी चुप रही
क्यों हमारी वीरता की हर कहानी चुप रही
आ गया है वक्त पूछा जाय आख़िर किसलिए
लोग चीखे , देश रोया , राजधानी चुप रही

चलिये शेश फ़िर कभी

आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तज़ार रहेगा
डॉ . उदय 'मणि '
684महावीर नगर द्वितीय
94142-60806
(सार्थक और समर्थ रचनाओं के लिये देखें )
http://mainsamayhun.blogspot.com

neera ने कहा…

अच्छी लगी रचना की रचनाएं :-)

राजीव करूणानिधि ने कहा…

आपकी अन्य रचनाओ के मुकाबले ये थोडी फीकी है, खैर हरबार बहुत अच्छा लिखना थोडा मुश्किल होता है, वैसे कोशिश अच्छी थी...जारी रखिये, कभी हमारे ब्लॉग पर भी निगाह डालिए...

लोकेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा…

कहते हैं बहुत कुछ के लिए कुछ काफी नहीं
चलो बहुत से कुछ का तो सफर मुहैया हुआ हमें

wah kya khoob kahi hai aapne........

daanish ने कहा…

"zindgi ki anboojhi paheliyo ke beech , pyas mei jaise matke ke pani mila hamei.." bahot hi khoobsurat alfaaz haiN aur unka izhaar bhi utna hi achha !
badhaaee svikaareiN .
---MUFLIS---

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

achchha hain likhte rahen!

PURAN SINGH BARAGAON ने कहा…

bahut achi kavita aur sher hai...

rajeeva ratnesh ने कहा…

Mai samajhata hoon tum mujhse
vafa nibhao toh baat buri nahi
taqdir roshan ho toh koi
shay hoti hai buri nahi,
gar tum khud hi meri humkadam
ban kar chalna chaho
pyar me majbooriyan bhi milen
toh mere liye buri nahi....

'Tohfa' kavita dil ko chune wali hai aur abhivyakti ko ek naya aayam deti hai.