ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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शनिवार, 13 फ़रवरी 2010


प्रियतम

मधु रंजित अधरों पर प्रियतम
आया नाम तुम्हारा प्रियतम
प्रतिबिम्बित नयनों के दर्पण
तुमको किया हमने मन अर्पण
बिन दुल्हन के सूनी देहली
प्रियतम बिना न आए नवेली
कुम कुम बरसा आयी शाम
जिन्दग़ी कर दी तुम्हारे नाम
मन में ऐसे बसे चितचोर
कर गए हमको भाव विभोर
क्षण-क्षण आया ऐसा आलम
होठों से निकला प्रियतम! प्रियतम!

वैलेन्टाइन दिवस पर मेरी सभी को शुभकामनाएँ


12 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

मन में ऐसे बसे चितचोर
कर गए हमको भाव विभोर
सुन्दर भाव और सामयिक भी

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत दिनों बाद...एक अच्छी रचना के साथ.

अब नियमित हो जाईये.

Randhir Singh Suman ने कहा…

होठों से निकला प्रियतम! प्रियतम! nice

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

sunder bhav, anukool mahaul, pyar bhari dilkash rachna.

खोरेन्द्र ने कहा…

bahut sundar

Unknown ने कहा…

bahut aachi rachna hai, likhate rahai
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अरुणेश मिश्र ने कहा…

रचना जी .
अति प्रशंसनीय रचना ।

kavi surendra dube ने कहा…

वह वाह ,बहुत खूब

बेनामी ने कहा…

bahut hi khoobsurati se likha hai apne...
shukriya share karne ke liye..

mere blog par b swagat hai apka...
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Unknown ने कहा…

mujhe aapse dosti karni hai...
contact me 9828130409 ya orkut par aaye mera is s30409@gmail.com hai

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर भाव और सामयिक भी

vishwa ने कहा…

बहुत अच्छी रचना है मै कैसे करू मेरा जीवन धन्य हो गया