ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009

बंटवारा





















हाफ पेन्ट की अदला बदली
किया कंचों का था बंटवारा
क्यों जवां होकर बढ़ी दूरियां
हुआ जायदाद का बंटवारा
लड़ जाते थे हर किसी से
था अपना भाई सबसे प्यारा
दुनियां की ऐसी हवा चली
मीठा खून लगे अब खारा
थे जो मां के राम लखन
किया था संग कुल का उजियारा
आज बनकर रावण विभीषण
कर दिया कुल का ही बंटवारा
खींच रेखा संबंधों में अपने
जीते जी कौशल्या को मारा
स्वर्ग से सुन्दर घर को तोड़
तेरा-मेरा घर कर डाला

शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009

उजाला ले लो

HAPPY DIWALI













कहती है जोत तुम मेरा उजाला ले लो
सूरज में तपन है मेरी शीतल ज्वाला ले लो
जानते हैं परवाने शमां पिघल जाएगी एक दिन
उत्सर्ग से पहले उनकी वफा का एक कतरा ले लो
दरकते घर,वीरान गाव फिर शमशान बने इससे पहले
कुछ किलकारियों कहकहों की गूंज ले लो
कहती है जोत तुम मेरा उजाला ले लो
तुम अकेले नहीं हिम्मत है, हौसला और है जुनूं
तो स्फुटित गेंहूं के एक दाने का अंकुर ले लो
रोशनी रोशनी होती है चांद की हो या सूरज की
तपस्वियों के ओज से ही कुछ रश्मियां उधार ले लो
यूं तो कई रंग हैं नीले अस्मां में इन्द्रधनुष के
तुम अपने लहू का रंग अपने उत्सर्गों को दे दो
देखो फिर बसेगें गांव फिर शहर हरे होगें
तुम इंसान हो तो इंसानियत का हवाला ले लो

बुधवार, 7 अक्तूबर 2009

चांद का इंतज़ार













चांद का इंतज़ार किसे नहीं होता
कौन सा जहान है, ये जहां नहीं होता
इंतज़ार किया और सदा करेंगें
प्रेमी जोड़े समन्दर किनारों पर
उड़ते पक्षी दरख्तों की डालों पर
थके मांदे लोग घरौंदों में जाने पर
मंगलकामना करती सुहागनें करवाचौथ पर
रोजे इफ्खार के पिपासे ईद पर
बिछड़े मीत मिलने की उम्मीद पर
नवजात कोख से बाहर आने पर
दिन गिनने वाले तारीख बदलने पर
दूधिया लिबास का गहरे आकाश पर
चांद का इंतज़ार किसे नहीं होता
चांद का इंतज़ार किसे नहीं होता