
हाफ पेन्ट की अदला बदली
किया कंचों का था बंटवारा
क्यों जवां होकर बढ़ी दूरियां
हुआ जायदाद का बंटवारा
लड़ जाते थे हर किसी से
था अपना भाई सबसे प्यारा
दुनियां की ऐसी हवा चली
मीठा खून लगे अब खारा
थे जो मां के राम लखन
किया था संग कुल का उजियारा
आज बनकर रावण विभीषण
कर दिया कुल का ही बंटवारा
खींच रेखा संबंधों में अपने
जीते जी कौशल्या को मारा
स्वर्ग से सुन्दर घर को तोड़
तेरा-मेरा घर कर डाला