सागर सा हृदय रख बुत में
खुदा ने बेटी बना दिया
अपने चूल्हे की आग से
किसी का चूल्हा जला दिया
न दर मिला न दयार
बाबुल ने तुलसी बना दिया
नाजों से पाल पोस के
बेटी को ब्याह दिया
जनम दिया जमाने को
नया युग बना दिया
हर दुख बांटे बेटी फिर भी
दुनिया कहे क्या किया
इत उत डोली जाए बेचारी
रिशतों ने सुख दुख भुला दिया
बुधवार, 26 नवंबर 2008
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16 टिप्पणियां:
कविता अच्छी है,थोड़ी और मेहनत होती तो और बेहतर बनती।
bahut gehre bhav sundar rachana ke liye badhai
सागर सा हृदय रख बुत में
खुदा ने बेटी बना दिया
सुंदर भावुक रचना!
एक गहरा एहसास लिए हुए बहुत सुन्दर रचना है।बहुत बढिया लिखी है।
नाजों से पाल पोस के
बेटी को ब्याह दिया
जनम दिया जमाने को
नया युग बना दिया
beti shabd hi kavitaa ke liye bahut kuch ho jaata hai ,badhai ,aapne to kavitaa likhi hai itni khoob
गार्गी ने ज्ञान बांटा, द्रौपदी ने कुरुवंश मिटा दिया
मर्यादा रखकर सीता ने दशानन का जग जला दिया
मीरा ने पीकर विष, जग को अमृत पिला दिया
रजिया ने चौंकाई दिल्ली, मनु ने लन्दन हिला दिया
बेटी बेटे से आगे है,इंदिरा, प्रतिभा ने दिखा दिया
आपके प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया, आपकी कविता 'बाबुल की बेटी' पढ़ी , बहुत कम शब्दों में गहरी बात कही है आपने , आपके द्वारा संपादित पत्रिका भी देखी , में उसका हिस्सा बनाना चाहूंगी और अगले अंक के लिए अपनी रचना भी अवश्य भेजूंगी | इस विधा में अभी नई हूँ , आप जैसे लोगो के मार्गदर्शन मिलता रहा तो आगे की राह आसन होगी|
achchaa likhti hain aap. par neeche waali gazal jyaadaa achchi likhi.
Kamaal hai ki aap kota mein hi rahti hain! Padh kar achchaa lagaa.
BAHUT HI SUNDAR SHABAD BAN PARE HAIN.
shabdon ko rakhne ka dhang achha hai,
sach kahataa hoon kavitaon ka rang achha hai
रचना जी आतंकवाद को लेकर जारी मेरे अभियान पर आपका हौसला अफजाई मेरे लिए प्रेरणा का काम करेगी।मुंबई में हुई घटना पर एक बार फिर में कलम उठाये हैं उम्मीद हैं इस अभियान में आपका सहयोग मिलेगा।आपकी रचना पढ कर लगा की ब्लांग की दुनिया में एक से एक रथी हैं। बेटी की भावना को आप ने अपने काव्य शैली के माध्यम जो परोसा हैं वह बिंदास हैं।
नारी जननी होती है, प्रसव की वेदना वही जानती है, बाकी सभी तो कल्पना करते हैं. आपकी सर्जना में उसकी वेदना का सृजन हुआ है. यह वही वेदना है जो सृजन करती है...
http://sarjna.blogspot.com/
Rachana ji aapki rachana bahut sundar hai
Badhi....
वाकई.....'बेटी' भगवान का इंसान को दिया सबसे सुंदर तोहफा है... पढ़कर बड़ा सुकून मिला.... आभार....और मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया.....
lajwab, yahi hai asli rachna...! keep it up.
Pankaj Tripathi.
Aapne to kavita likhi hai.... beti ko vida kiya hai maine ....beti ko vida kerne ka dard vo hi samajh sakta hai jisne beti ko janam diya ho.....aapki is mano bhavna ka swagat hai....
Regards
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