ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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सोमवार, 24 नवंबर 2008

फ्रेम

जिन्दगी की तस्वीर अधूरी क्यों
बिना प्रेम खाली है फ्रेम क्यों ?
वो पल जो किसी मौन को तोड़े
उस पल के लिए चैन अधीर क्यों ?
कितने कागज लिख लिख मरोड़े
एक शब्द पर ही रूकी कलम क्यों ?
जिससे काटे नहीं कटी हो अब रैन
उसके चित्रपट पर तुम आ जाओ
पूरी हो जाएगी तस्वीर
भर जाएगा फ्रेम

9 टिप्‍पणियां:

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

वो पल जो किसी मौन को तोड़े
उस पल के लिए चैन अधीर क्यों ?
कितने कागज लिख लिख मरोड़े
एक शब्द पर ही रूकी कलम क्यों ?......
सुन्दरता एवेम मन से लिखी गयी लाइनें हैं .इन सुंदर लाइनों के लिए आपको बधाई .

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

"कितने कागज लिख लिख मरोड़े
एक शब्द पर ही रूकी कलम क्यों ?
जिससे काटे नहीं कटी हो अब रैन
उसके चित्रपट पर तुम आ जाओ"

अति सुन्दर रचना, बधाई स्वीकार करे.

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: ने कहा…

क्यों हुए शब्द-भाव मुखर मौन
निर्जीव चित्रोँ, रंग जीवंत भरे कौन ,
कहते हैं किसी को मुक्क़मल ज़हां नही मिलता ,
किसी को ज़मीं तो किसी को आसमां नही मिलता ||

बतकही आगमन का धन्यवाद

हिन्दीवाणी ने कहा…

बहुत सुंदर कविता। समय निकालकर मेरे ब्लॉग पर भी पधारें।

रंजू भाटिया ने कहा…

उसके चित्रपट पर तुम आ जाओ
पूरी हो जाएगी तस्वीर
भर जाएगा फ्रेम

बहुत खूब .लिखा है आपने

Renu Sharma ने कहा…

maun ke liye ek pal ki talash hai .
rachana ji , bahut sundar likha hai .

दिनेश चारण ने कहा…

bahut khub...badhai

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

Racganaji,
Kafi lambe intjar ke bad apkee kavita Frem padhane ko mili.Kisi khali frem ko bhee Adhar bana kar prem jaise vishaya par kavita likhi ja saktee ha....Bahoot hee sunder shbdon men apne apnee bhavnaen vyakt kee han.Badhai.
Hemant Kumar

kaushal ने कहा…

आपके आग्रह पर मैंने आपके ब्लॉग पर कविताएं पढ़ी मन को सूकून मिला,
वाकई बहुत अच्छी लगी, कुछ कविताएं तो मेरे मन को छू गयी।