ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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सोमवार, 5 जनवरी 2009

मानव

राजस्थान पत्रिका 31 अक्टूबर 2005 में प्रकाशित
दुनिया की दह्ललीज़ पर
नागफनी सी अभिलाषाएं
लोक लाज के भय से
डरी प्रेम अग्नि की ज्वालाएं
सुवासित हु‌ए उपवन फिर
खुल गयी प्रकृति की आबन्धनाएं
उग्र अराजकता से दुनिया की
क्रन्दन करती आज दिशा‌एं
पांव ठ्हर ग‌ए पथ भूल
अन्तर्मन में, नया कोई नया स्तम्भ बनाएं
युगों-युगों तक गूंजें नभ में
पिछली भूलें फिर न दोहराएं
भरी गोद चट्टानों से धरती की
या पत्थर की प्रतिमाएं
भावों की संचरित कविता से
सुप्त जीवन का तार झंकृत कर
चलो, हम मानव को मानव बना‌एं

13 टिप्‍पणियां:

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

sunder rachna, bhavon ki rachnatmak abhivyakti.
swapn

Prakash Badal ने कहा…

अच्छी कविता! अच्छे भाव, वाह!

Unknown ने कहा…

bahut hi achchi kavita!
sundar post!

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

रचना जी
अभिवंदन
मानव एक सुंदर कल्पना है
आपने अपनी भूति से कविता के अंत को सार्थक बना दिया .
अच्छी पंक्तियाँ हैं......
अन्तर्मन में, नया कोई नया स्तम्भ बनाएं
युगों-युगों तक गूंजें नभ में
पिछली भूलें फिर न दोहराएं
आपका
विजय

Vinay ने कहा…

इतनी अच्छी कविता को प्रकाशित तो होना ही था


---मेरे पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम पर आपका सदैव स्वागत है|

Girish Kumar Billore ने कहा…

दुनिया की दह्ललीज़ पर
नागफनी सी अभिलाषाएं
लोक लाज के भय से
डरी प्रेम अग्नि की ज्वालाएं
सुवासित हु‌ए उपवन फिर
NICE
एक गीत का पद इसी के इर्द गिर्द सादर
एक सपन ले उड़ती चिडिया
माँ, डरतीं "पर" भटक न जाएँ
मैं विश्वाष दिलाती पल पल
रेख यकीं की दरक न पाए ...
बिटिया हूँ बेटी का जीवन बोझिल रहता है भारों में ?

शुभकामनाएं

Arshia Ali ने कहा…

नये साल की मुबारकबाद कुबूल फरमाऍं।

Smart Indian ने कहा…

चलो, हम मानव को मानव बना‌एं
ईश्वर आपकी यह कामना पूरी करे!

admin ने कहा…

सुन्‍दर कविता, बधाई।

hindi-nikash.blogspot.com ने कहा…

एक समर्थ और सार्थक अभिव्यक्ति के लिए सिर्फ़ बधाई काफी नहीं होती..... आपका लेखन फले-फूले और आपके शब्दों को नित नए अर्थ और रूप मिलें यही शुभ कामना है.
आपकी कुछ और रचनाएं मिल सकें तो आपकी कविताओं पर विस्तृत समीक्षा लिखना चाहूँगा.....

मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.
http://www.hindi-nikash.blogspot.com

सादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर

Amit Kumar Yadav ने कहा…

आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!

खोरेन्द्र ने कहा…

aapki kvitaye pdha ...achhi lgi ..sundar .vah

Ata-ur Rahman ने कहा…

धन्यवाद रचना जी,
वास्तव में आपकी रचनायें, रचनात्मक हैं.
क्यों न हों जब नाम ही रचना है.कुछ तो असर होना चाहिये नाम का काम में...
वैसे आपका अक्स आपकी व्यक्तित्व का सूचक है..