
‘बेटा’शब्द एक मार्मिक अहसास
मां के अन्तर्मन का विश्वास है
आत्मा से आत्मा का बंधन
बेटे से मां बाप का यही नाता है
सौ जन्मों से अधिक ममता से
मां का हृदय जब बेटा बुलाता है
कर्ज और फर्ज से बंधा जन्म ले
बेटा जब मां के आंचल में आता है
मां के दूध का कर्ज, वंशबेल का फर्ज
परवरिश व संस्कारों से ही चुकाता है
वहन करता प्यार, विश्वास, जिम्मेदारी
बाप के कंधे से कंधा वो मिलाता है
जब कोई बाप बेटे का हमराज बनता है
तभी बेटे का मूल, पोते का ब्याज पाता है
भाग्यवान है जिसने जीवन में बेटे का कंधा पाया
परलोक के लिए जिसके बेटे ने अपना कंधा लगाया
9 टिप्पणियां:
सही कहा आपने पिता बन कर ही बेटा का मर्म समझ मे आता है
मर्मस्पर्शी कविता के लिये साधुवाद
खूबसूरत भाव की पंक्तियाँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
Aapke blog par aana sukhad raha...aabhar link dekhiyega
फेमिनिस्ट
pad kar maza aa gaya. bahut marm sparshi hai
क्या ये सब सुख बेटी का बाप बनने से ही मिलते?बेटा हो या बेटी.. माँ को उतना ही दुःख उठाना पड़ता है,फिर बेटे का ही मोह क्यूँ?
बहुत सुन्दर रचना है !
सुभकामनाये !
कितनी बातें चलती है,कितनी बातें पलतीं हैं,
कितनों का तो पता नहीं है,फ़िर भी बातें चलती हैं,
बेटा आता बहू को लाता,बेटी गयी पराये देश,
अगर दिया तो वाह वाह है,नही दिया तो रिस्ता शेष,
बेटा गया बहू के कब्जे,सास बहू का झगडा है,
परिवार न्यायालय भरे पडे है,यह भी सिस्टम तगडा है
लव मैरिज कर बेटा लाया,बहू के ठाट निराले हैं,
चार दिना की रही चांदनी,फ़िर घर के अन्दर ताले हैं
Very nicely written. Kuchh hasya kavitayen ho to blog aur sunder ban jayega.
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