ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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शनिवार, 11 अक्टूबर 2008

तकदीर व तदबीर

जरूरी नहीं सबको मोती मिलें
हंस बनने की पहले कोशिश करें
तदबीर बनानी पड़ती है और
तकदीर में लिखा होता है
बड़ी मुद्दतों के बाद ही किसी
कौए के नसीब में मोती होता है।

गुरुवार, 2 अक्टूबर 2008

हद से पहले

उलट गया नकाब तेरा तकदीर से
सामना होगया अपनी ही तस्वीर से
अब पशेमान कयूं हैं नजर तेरी उठते उठते
कद्र की है जिन्दगी की तो सांस रुकते रुकते
अंजाम सोचना था कजा की हद से पहले
अब आ ही गई है तो आगोश में ले ले

शुक्रवार, 19 सितंबर 2008

जुर्म

अफसाना-ए-हस्ती में तो सभी जुर्म किया करते हैं
इक जुस्तजू-ए-शौक हमने भी कर लिया तो
दिलों के कत्ल की सज़ा हमको सुना दी
इसपर जुरअते निगाह काफी न थी जो आपने
कातिलों के हाथ में तलवार थमा दी

ठुकराये बन्दे

तेरे अंजुमन से उठकर फिर कहां जाते
जो बाबस्ता हुए तुमसे वो अफसाने कहां जाते
थककर हयात से जिन्हें न मिलता मैखाना तो
ठुकराये हुए बन्दे खुदा जाने कहां जाते

गुरुवार, 28 अगस्त 2008

कर्ज़दार

रोम रोम रिश्तों का कर्ज़दार

हर रिश्ता कुछ उम्मीद रखता है

हम भी कर्ज़दार हैं खुदा के

जो हर रिश्ते में दर्द रखता है

कटी पतंग

कटी पतंग बन जाएं इससे पेश्तर

हाथों की डोर मज़बूत कीजिए

पेच बहुत लड़ाने होगें जिन्दगी में

लड़ाने से पहले पतंगबाज़ देखिए

ज़िगर

बहुत मन्नतें बहुत हवन किए हमने

ज़माने ने सब चकनाचूर कर दिए

उनसे कहो जिगर हमारा भी हौसलेमन्द था

हाथ हवन में जलाने से पहले हवनकुन्ड उठा लिए



तकदीर

एक कलम खुदा की , एक अपनी चली

खुदा ने तकदीर और हमने रचना लिखी

रचना में तो कांट छांट सम्पादक कर देगा

तकदीर को क्या खुदा दोबारा लिखेगा?



जुस्तजुं

जुस्तजुं जिन्दगी में जरूरी है

उड़ाने उमंगों भरी भी जरूरी है

गर जुस्तजुं पूरी न हो तो,

जीने के लिए तू नई जुस्तजुं बना ले

कांटे

बबूल को कोई शौकिया लगाता नहीं
रेशमी कपड़े पहन पास जाता नहीं
फूल चुनने का शौक सभी को होगा
कांटों से मोहब्बत कोई जताता नहीं