फिर चुनावी सरगर्मियां शुरु होंगी
हलवाई की दुकान की मक्खि़यां उड़ेंगी
कम्ब़लों की एक बार फिर गांठें खुलेंगी
कौए भी मुंडेरों पे बोला करेंगे
हर सुबह कोई न कोई उम्मीदवार मिलेंगे
हर पार्टी की अपनी टकसाल होगी
हांडी में मुर्गी ,तंदूर पे रोटी सिकेंगी
बेचारे सरकारी अफसरों की ड्यूटी लगेंगी
मंहगाई का नाग ज़ोरदार फ़नफ़नाएगा
मूंगफ़ली भी काजू के दाम बिकेंगी
नेताओं के कुछ वादे कुछ झूठी कस्में मिलेंगी
चिल्लाएंगे जोर-जोर से गरीबी हटाओ-2
उनकी ची्खें दीवारों से टकरा उनके कानों में गूजेंगी
वोटों की बिक्री है दाम ऊंचे लगेंगे तो
गरीबों को कहां लहसुन की चटनी व रोटी मिलेगी
पट्टियां तैयार कीजिए पेट पे बांधने की अब
चुनाव का माहौल है बस चुऩावी सरग़र्मियां मिलेंगी
शनिवार, 2 मई 2009
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20 टिप्पणियां:
Social issus uthana kabile tarif hai ,aap apni rachnaye jari rakhe..rachna kabhi jwalant hai,
wjjwal bhavisya ki shubh kamnaye..
Regard,s
झूठे वादे, कोरे नारे, झूठा सब अपना-पन है।
तारों की महफिल में, खद्योतों का निर्वाचन है।
रंग-बिरंगे झण्डे फहराने की,
सब में होड़ लगी है,
खुजली वाले नेताओं के,
तन में उसमें कोढ़ लगी है,
रूखा-सूखा मत का भूखा,
बिन पानी का ये घन है।
तारों की महफिल में, खद्योतों का निर्वाचन है।
पाँच साल जम कर लूटा,
अब लुट जाने के दिन हैं,
वोट बैंक की खातिर,
जूतों से पिट जाने के दिन हैं,
कुर्सी की खातिर ये करता,पूजा,हवन,भजन है।
तारों की महफिल में, खद्योतों का निर्वाचन है।
sab kuch hoga rachnaji, bas desh ka kuch bhala nahi hoga..... kavita k liye badhai
अरे अब तो सब हो जाने के क़रीब है पहुंच गया भारती जी!
bhut sundr likha hai aapne .
achchha hai ...bahut achchha hai
वोटों की बिक्री है दाम ऊंचे लगेंगे तो
गरीबों को कहां लहसुन की चटनी व रोटी मिलेगी
... बहुत खूब !!!!!!!
chunavi ...sargarmiyan mil rahi hain...... unke liye bhi kuch likh de ....jo desh ke disha to badlana chahte hain, vikas chahte hain....par vote nahi karte....... Jo vote nahi karte kya unko Netao par vyang karne ka haq hain ?
Acchi rachna. mubarak ho
आप की टिप्पणी के लिए आभारी हूँ!चुनाव पर आप की रचना पढ़ी,व्यंग की धार अछि तरह चुभती है! ऐसी रचनाओं का हमेश इंतजार रहेगा !
Rachana ji,
Apko Thakur Sahab ki rachana achhi lagi iske liye aapko dhanyabad. Main Kusum, unki patni, unki rachanaaon ko ek blog ke maadhyam se pathakon tak pahunchane ka prayas kar rahi hoon. aapka blog padhi Apaki rachana bahut pasand aaya.Apko badhai.
रचना जी नमस्कार .
मैं एक नया ब्लॉगर हूँ. अभी बहुत कुछ समझ में नहीं आता है . आपने मेरी नयी यानि १४ दिनों के बच्ची ब्लॉग को अपनी प्रतिकृया देकर उसकी जीवन शक्ति को मजबूत किया है. आपका बहुत -बहुत धन्यवाद . अब आपकी रचनाओं की बात करें. सचमुच अच्छा लगा . मैं भी पहले कविता लिखा करता था, लेकिन २० वर्षों से एक भी कविता नहीं लिख पाया हूँ. लेकिन किसी की कुछ कविताये लगता है. मेरे मन की अविव्यक्ति है. इतने के साथ आपसे उमीद करता हूँ कि मेरे जैसे नए ब्लॉगर को प्रोत्सहान देतें रहें.
आपके ब्लॉग को मेरी शुभ को ढेर सारी शुभ कामनाएं. mera ek web site hai www.drishtipat.com, www.drishtipatmagazine.blogspot.com ise jaroor kholen. aapni pratikriya den.
bahut khub likha aapne. pad kar mazaa aa gaya. aise hi likhte rahiye
Bahut achche.Badhai.
बहुत अच्छी सामयिक कविता.. आभार
ekdam satik likha.
गरीबों को कहां लहसुन की चटनी व रोटी मिलेगी
पट्टियां तैयार कीजिए पेट पे बांधने की अब
चुनाव का माहौल है बस चुऩावी सरग़र्मियां मिलेंगी
Adarneeya Rachna Ji,
bahut badhiya dhang se apne aam admee ke dard ko likha hai in panktiyon men.badhai.
apkee tippanee ne mera utsah badhaya hai .asha hai age bhee mera utsah badhayengee.
Poonam
बहुत खूब रचना जी ||बहुत अच्छी तरह से उठाया है इस चुनावी माहौल की सरगर्मी को को,
क्या लाइन लिखी है
पट्टियां तैयार कीजिए पेट पे बांधने की अब
चुनाव का माहौल है बस चुऩावी सरग़र्मियां मिलेंगी
इससे पता लगता है .कि
इस पशोपश के माहौल में हम खाली ही रहे..
वो उनके रहे और वो उनके रहे ,,
बहुत बहुत शुभ कामनाये और आदर
is bare me to sabhi kuch na kuch janta hai kinto sawal ye hai kim aawaz kaun uthaye .......
aap ki rachna kafi achhi hai ....
likhte rahiye ...
chunaw sabhndi post mere blog ...www.mideabahes.blogspot.com
par padhe
sabse pahle aapke udaar comments k liye dhanyavad. Bharat me chunaav shabd gaali ki tarah lagte hai. vyang achcha hai parantu ek creative soch ki zarurat hai hum sabko. loktantra me janta ki taqat ko badhane k liye hume ek lambi ladai ladne ki taiyyari karni hogi.
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