सपनों को अंखियों में छुपा
तुम गीत नया एक लिख लों
भरी दुनिया से खुद को छुपा
सिलवटों को माथे की गिन लो
चिंता चिता न बन जाए
मन पर इतना न बोझ धरों
पड़ जाएं दिलों में दरारें तो
मोहब्बत से उनको भर लो
दर पे खड़ी हो आशा निराशा तो
झट आशा की झोली भर दो
छोटा है जीवन इसे न निष्काम करो
जीवन मे कोई तो अच्छा एक काम करो
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8 टिप्पणियां:
छोटा है जीवन इसे न निष्काम करो,
जीवन में कोई तो अच्छा काम करो.... सुंदर विचार... बधाई....
अच्छे विचारों वाली रचना।
बहुत बढ़िया.
आशा का सुन्दर भाव आपकी इस कविता में है । धन्यवाद.
सुंदर विचार...
सुन्दर भाव है ।
bhari duniya se khud ko chhupa
silawaton ko mathe ki gin lo
---bahut achchhi lagi.
चिंता चिता न बन जाए
मन पर इतना न बोझ धरों
Soothing lines...
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