सभी ब्लोगर पाठकों को दशहरे की हार्दिक शुभकामना
एक बार रावण का कुछ मूड बदला
उसका ध्यान अंतरंगता की ओर लपका
अपने दसों सिरों से
चुंबनों की इच्छा जागी
दस्यु सुन्दरियों के लिए
विज्ञापन निकाला,
बना अनुरागी
सुन्दरियां आयीं, इंटरव्यू हुए,
रावण के चुनाव घोषित हुए
विज्ञापन में पहले ही छपा था,
सुन्दरियों को भी पता था
कमसिन, दुबली कन्याएं चाहिएं थीं,
जगह की कमी बताई गई थी
हर सिर के आगे प्रत्येक को खड़ा होना था,
भीड़ बढ़ गई
रावण ने ये सोचा न था
यूं घिर जाएगा सुन्दरियों से कि
सिर के सिर से जुड़े होने से
सांस लेना मुश्किल होगा
खैर ! कामुक बली ने
नरसंहार तो बहुत किए थे मगर
आज से पहले न कभी
महाराज ऐसे चक्कर में पड़े थे
चुबंनों के लिए दस्युओं ने जैसे ही अधर मिलाए
दसों सिर कंपित हुए, सीधे बस शिवजी याद आए
अपने दसों सिरों से
चुंबनों की इच्छा जागी
दस्यु सुन्दरियों के लिए
विज्ञापन निकाला,
बना अनुरागी
सुन्दरियां आयीं, इंटरव्यू हुए,
रावण के चुनाव घोषित हुए
विज्ञापन में पहले ही छपा था,
सुन्दरियों को भी पता था
कमसिन, दुबली कन्याएं चाहिएं थीं,
जगह की कमी बताई गई थी
हर सिर के आगे प्रत्येक को खड़ा होना था,
भीड़ बढ़ गई
रावण ने ये सोचा न था
यूं घिर जाएगा सुन्दरियों से कि
सिर के सिर से जुड़े होने से
सांस लेना मुश्किल होगा
खैर ! कामुक बली ने
नरसंहार तो बहुत किए थे मगर
आज से पहले न कभी
महाराज ऐसे चक्कर में पड़े थे
चुबंनों के लिए दस्युओं ने जैसे ही अधर मिलाए
दसों सिर कंपित हुए, सीधे बस शिवजी याद आए
18 टिप्पणियां:
वाह क्या बात है बहुत खूब रावण भी सांसत मे
क्या बात है .... रावण के लिए इस मसले पर दस सर होना भी अखर गया होगा .....
यहाँ तो रावण की दस सिर समस्या बन गयी..बढ़िया रचना!!
हा हा हा बहुत बदिया जी बधाई
Nice.....
Bechara..... Ravan.
भारती जी, वाह, बहुत मजेदार परिकप्ल्पना है, विशेषकर जब टेलिविज़न पर रियलिटी स्वयंवर का दौर है. अगर कभी फुर्सत में मूड करे तो इसे और विस्तार दें. बहुत कुछ और कहा जा सकता है. आभार. मेरे ब्लॉग पर आने का भी धन्यवाद. आगे भी मार्गदर्शन मिलेगा, यही अपेक्षा है.
hahahhhaaaaaaa....bahut khoob....achchhi kalpna hai...
shandar
Sundar baat...
Niymit likhna aur achha likhna, dono hi dushkar karyo me aap nipun hai..
meri anant shubhkamnaye..
http://gangu-teli.blogspot.com
BAHOOT KHOOB ......... ACHHA LIKHA HAI HAASY KA SUNDAR SANGAM HAI ....
Bahut achcha...
शिवजी के पास आखिर जाकर वरदान क्या मांगेगा................
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, रावण का भागना यूँ पसंद आया..........
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
Bahut khub....aap ne to Ravan ko bhi pachaad diya...
Rgds,
Rajender
http://rajenderblog.blogspot.com
रचना जी ,
मैं आपको फालो कर रहा हूं इसलिए आपकी रचनाएं पढ़ता रहता हूं। कृपया मेरी गद्य रचनाओं की संवीक्षा करने के लिए इस साइट पर जाएं
http://drramkumarramarya.blogspot.com,
ग़ज़ल के लिए ‘कुमार ज़ाहिद’ की साइट की पड़ताल करें।
http://kumarzahid.blogspot.com,
आप संपादिका हैं ,रचना-धर्मी हैं । आपकी नज़रों से अच्छी रचनाएं नहीं छूटनी चाहिएं इसलिए गुस्ताखी कर रहा हूं, असपकसे साइट बता रहा हूं,
मार्ग पंशस्त करती रहें।
rachna achchhi hai .nice..
haha... bahut khoob
mera namskar
bahut khub likha hai aapne ise padhkar mai apni hasi rok nahi paya
aadrniy behn rchnaa ji jesaa naam vesi hi rchnaayen kotaa men is trh kaa lekhn chupaa he pdh kr mn gdgd ho gyaa meri bdhaai svikaar kren. akhtar khan akela kota rajasthan
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