ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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रविवार, 22 फ़रवरी 2009

यादें

अब खामोशियां हमें भाने लगीं हैं
हंसीन यादें - के हमें लुभाने लगीं हैं
हकीक़त के क्षणों ने खटखटाए दरवाज़े तो
सब़्ज़ बागों के दायरे से अंदर बुलाने लगीं हैं
सिमटते सिकुड़ाते थोड़ा करार पाते लेकिन
हंसी यादें फिर - के सताने लगीं हैं
सफेद झूठ था कि हम सब कुछ भूल गए
जिनहें याद करते थे वो चेहरे धुंधले पड़ गए
लेकिन हंसी यादें चेहरे फिर दिखाने लगी है
अब खामोशियां हमें भाने लगी हैं
हंगामों से जी धबराने लगा अब
तन्हाइयां रास आने लगी हैं
थक गई आंखे भी तकिए भिगोते-2
फिर हंसीं यादें - के रुलाने लगीं हैं
अब खामोशियां हमें भाने लगी हैं

15 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

हसीं यादों की सुंदर अभिव्यक्ति !

समय चक्र ने कहा…

बहुत बढ़िया रचना बधाई . लिखती रहिये.

अक्षत विचार ने कहा…

थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह गयी आपकी रचना

Bandmru ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति !

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रचना है।बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया ..........

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

bahut hi sundar bhav hai aapke..

Shamikh Faraz ने कहा…

bahut sundar rachna hai rachna ji aapki. agar waqt mile to mere blog par bhi aayen

प्रशांत मलिक ने कहा…

थक गई आंखे भी तकिए भिगोते-2

bahut achhe..

रश्मि प्रभा... ने कहा…

हंसी यादें फिर आ-आ के सताने लगीं हैं
सफेद झूठ था कि हम सब कुछ भूल गए
.......
bahut hi achhe bhawon ka sanyojan hai

manu sharma ने कहा…

waise to yaade bas mann tak hi seemit hoti hai par phir bhi maan ki gheriyo ko aap ne bakhubi prastut kiya hai .khas kar ki takiye ka bheegna hoto par achanak se hasi ka aana mujhe ander tak chu gaya.

mark rai ने कहा…

tanhaaiya hame raas aane lagi...
dard ko bayan karati hai....
aapaki ye kavita mujhe pareshaan karati hai....
tanhaai me jinda hoon....
ye kavita use aur badha rahi hai...
aapaki ya kavita mere hosh uda gayi hai....

nadeem azmi ने कहा…

sunaoo mai keya apni yado ko .. dekhaoo mai keya apne dard ko.. kuch tumne diye kuch humne liye.. ye nateeja hai us peyar ka jo humne tumse kiye

Yogendramani ने कहा…

अच्छी रचनाहै...बधाई

manish bharti ने कहा…

rachana ji mujhe apki ye kavita bahut hi pyari lagi