ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार

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शनिवार, 13 फ़रवरी 2010


प्रियतम

मधु रंजित अधरों पर प्रियतम
आया नाम तुम्हारा प्रियतम
प्रतिबिम्बित नयनों के दर्पण
तुमको किया हमने मन अर्पण
बिन दुल्हन के सूनी देहली
प्रियतम बिना न आए नवेली
कुम कुम बरसा आयी शाम
जिन्दग़ी कर दी तुम्हारे नाम
मन में ऐसे बसे चितचोर
कर गए हमको भाव विभोर
क्षण-क्षण आया ऐसा आलम
होठों से निकला प्रियतम! प्रियतम!

वैलेन्टाइन दिवस पर मेरी सभी को शुभकामनाएँ